शीर्षक. स्पर्श
सात दिन बीत चुके थे ,माला अभी तक कोमा में थी ,अस्पताल में जहाँ डाक्टर जी जान से उसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे वहीँ माला का पति राजेश अपने एक साल के बेटे अंकुर के साथ ईश्वर से माला की सलामती की दुआ कर रहा था । नन्हा अंकुर अपनी माँ का सानिध्य पाने को बेचैन था ,लेकिन उस नन्हे के आँसू राजेश के नयन भी सजल कर देते थे ,आखिर हार कर राजेश उसे अस्पताल में माला के पास ले गया और रोते हुये अंकुर को माला के सीने पर रख दिया ,”लो अब तुम्ही सम्भालो इसे ,इस नन्हे से बच्चे का रोना मुझसे और नहीं देखा जाता ,”यह कहते ही वह फूट फूट कर रोने लगा । इधर रोता हुआ अंकुर माँ का स्नेहिल स्पर्श पाते ही चुप हो गया और उधर अपने लाडले के मात्र स्पर्श ने माँ की ममता को झकझोर कर उसे मौत के मुहँ से खींच लिया ,माला कौमा से बाहर आ चुकी थी ।
रेखा जोशी
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