Saturday, 11 January 2020

जीवन में आ जाती बहार, तुम जो आ जाते इक बार

जीवन में आ जाती बहार, तुम जो आ जाते इक बार

आसां होती जीवन की राह, मिलता ग़र हमें तेरा प्यार

..

जी लेते हम और कुछ देर, संग जो मिलता हमें तेरा

सँवर जाती मेरी तकदीर, खुशियाँ गुनगुनाती मेरे द्वार,

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हमने तो चाहा था दिल से, समझा न तुमने कभी हमें

रूठी है किस्मत हमसे आज, जीते तुम औ हम गए हार

बहुत हुआ अब आओ सनम, न लो अब इम्तिहान साजन

मर जायेगे बिन तेरे हम कर दो पिया बगिया गुलजार

..

पूछे हैं हम से तन्हाईयाँ, जीते रहे हैं किसके लिए

आने से तेरे फिर से सजन, लौटें गी घर खुशियाँ हजार

रेखा जोशी

2 comments:


  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चार्च आज सोमवार  (13-01-2020) को  "उड़ने लगीं पतंग"  (चर्चा अंक - 3579)  पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है 

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    1. सादर आभार आपका आदरणीय

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