विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रथा है, हिन्दू धर्म के अनुसार विवाह गृहस्थ आश्रम की नीव है जिसमें स्त्री पुरुष मिल कर परिवार का निर्माण करते हैं l पति और पत्नी के इस नव जीवन को सामाजिक मान्यता देने के लिए विवाह को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है और इस समारोह को मनाने के लिए दोनों ओर के माता पिता यथा अनुसार पैसा भी खर्च करते हैं, लेकिन देखने में आता है कि कई लोग इस समारोह में अनावश्यक धन लुटाते हैं, अब हर कोई मुकेश अंबानी की तरह आमिर तो है नहीं जो शाही शादी कर सके लेकिन इस खुशी के समारोह में लोग अपनी हैसियत से ऊपर खर्च कर देते हैं, चाहे इसके उन्हें कर्ज ही क्यों न लेना पड़े l
विवाह में बजट बना कर खर्च को कई प्रकार से कम किया जा सकता है जैसे शादी की पोशाक, मंडप की सजावट, खान-पान , उपहार और कई अन्य वस्तुएँ पर अपने बजट को देखते हुए काफी पैसे बचाये जा सकते हैं। एक इवेंट मैनेजर के अनुसार शादी के खर्चों में कटौती हर तरह से जरूरी है। उनका मानना है कि इन खर्चों का कोई अंत नहीं होता। और पैसे चाहे जिसके लग रहे हों, इसका लगभग पच्चीस से तीस प्रतिशत फिजूलखर्च ही होता है। शादी में पैसे को सोच-समझ कर खर्च किया जाए, तो इन्हीं बचे हुए पैसों का इस्तेमाल बाद में कई उपयोगी चीजों पर किया जा सकता है। नई जिंदगी शुरू करने के लिए कई चीजों की जरूरत होती है, अगर आपको पैसा खर्च ही करना है, तो उसे आवश्यकता अनुसार ही खर्च करना चाहिए और फिजूलखर्ची करने से बचना चाहिए l
इस परम्परा का वहन सादगी से कर के भी बेशक़ उत्सव मनाया जा सकता है। जड़ से ही मानसिकता बदलने के लिए नी पीढ़ी को मानसिक तौर पर तैयार करना होगा।
ReplyDeleteअम्बानी जैसे लोग भी अगर नई मानसिकता के साथ पहल करें तो उस फिजूलखर्ची से बचा कर उस पैसे से समाजोपयोगी कई काम किये जा सकते हैं।
नमन ऐसे सराहनीय और अनुकरणीय विचार को ...
सादर आभार आपका 🙏 🙏
Deleteबात तो आपकी एकदम सही है ,पर लोग कहाँ समझते ...एक दूसरे की देखादेखी बहुत ही अनावश्यक खर्च करते हैं ।
ReplyDeleteसादर आभार आपका 🙏 🙏
ReplyDeleteउत्तर देने के लिए आपका आभार 🙏 🙏
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