क्रोध पर नियंत्रण
क्रोध सबको आता है लेकिन बात यह है कि क्रोध पर नियंत्रण कैसे पाया जाए भले ही क्रोध करना पूरी तरह सामान्य बात है लेकिन क्रोध ऐसी नकारात्मक शक्ति है, जो सारी अच्छाई को कुछ ही पल में खत्म कर देतीं है, क्रोध उस दोस्ती और भरोसे को तोड़ सकता है जिसे बनाने में हमें कई वर्ष लग जाते हैं l
हम सबके जीवन में असंतोष है, दुख है पीड़ा है, हम सब जानते हैं कि हमारा जन्म होता है, मृत्यु होती है और इस जीवन में कुछ अच्छा समय बीतेगा, कुछ बुरा भी बीतेगा,। जब हम इस संसार में पैदा हुए तो हमें किसी ने नहीं कहा था कि जीवन बहुत अच्छा और सरल होगा और लगातार हँसी-खुशी से भरा रहेगा, और सब कुछ ठीक वैसे ही होता जाएगा जैसा हम चाहेंगे।
इस संसार में लोगों या फिर अपने आप पर क्रोध करने से स्थिति में कोई सुधार नहीं होने वाला है। दूसरे लोग ऐसी बातें कह सकते हैं या ऐसे काम कर सकते हैं जो हमें पसंद न हो, यह जरूरी नहीं कि सब कुछ ठीक हमारी इच्छा के ही मुताबिक हो l
जब हम परेशान होते हैं तो हमारे लिए चीखना-चिल्लाना कितना आसान होता है? उस समय हमें क्रोध बहादुर और मज़बूत नहीं बनाता है – वह तो हमें कमज़ोर ही बनाता है । उस वक्त हमें धैर्य से काम लेना चाहिए और इस के लिए जब हमें लगे कि हम तनावग्रस्त हो रहे हैं, तो हम गहरे श्वास लेने चाहिए, यह तनावमुक्ति का सीधा सा उपाय है क्योंकि जब हम क्रोधित होते हैं तब हम जल्दी-जल्दी और छोटे श्वास लेते हैं। हम धीरे-धीरे 100 तक गिनती गिन सकते हैं, ऐसा करके हम अपने आप को ऐसा कुछ कहने से रोक सकते हैं जिसका हमें बाद में अफसोस करना पड़े। या, यदि हम ऐसी स्थिति में हों जहाँ सीधे झगड़ा होने वाला हो, तो हम बात के बिगड़ने से पहले अपने आप को वहाँ से अलग कर सकते हैं।
हर स्थिति दूसरी स्थितियों से अलग होती है, इसलिए आपको अपने विवेक से काम लेना चाहिए कि किस स्थिति में क्या करना सबसे अच्छा रहेगा।
क्रोध हमें तनाव और दुख देता है, हमारी नींद और हमारी भूख को हर लेता है। यदि हम किसी व्यक्ति के प्रति क्रोधित ही बने रहें, तो इससे हमारे बारे में उसके मन में एक गुस्सैल व्यक्ति की स्थाई छवि बन जाती है, और सच्चाई तो यह है: क्रोधी स्वभाव वाले किसी व्यक्ति के साथ कौन रहना पसंद करता है?
ध्यान और योग का अभ्यास हमें क्रोध से छुटकारा दिला कर हमें शांति और विनम्रता प्रदान कर सकता हैl
जिस भी व्यक्ति से हम नाराज़ होते हैं वह हमारे लिए बहुत मूल्यवान है क्योंकि वह हमें धैर्य का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करता धैर्य से क्रोधाग्नि को शांत किया जा सकता है l
जब हम क्रोधित होते हैं, उस समय हमारे अंदर “मैं की भावना आती है, इसका अर्थ यह नहीं कि हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, हमारा अस्तित्व है लेकिन अहम नहीं होना चाहिए, इससे हमें यह ज्ञान हो जाता है कि ऐसा कुछ था ही नहीं जिसके लिए इतना क्रोध करना चाहिए l
रेखा जोशी
सादर आभार आपका आदरणीय शास्त्री जी
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