मापनी
2122 2122 2122 212
रात काली यह सुबह में आज ढलनी चाहिए
ज़िंदगी की शाम भी साजन सँभलनी चाहिए
….
राह में मिलते बहुत से लोग अपनी ही कहें
सोच अपनी भी यहाँ अब तो बदलनी चाहिए
…
इस जहाँ में प्यार की कीमत को’ई समझे नहीं
साज पर इक प्यार की धुन भी मचलनी चाहिए
….
बाँह मेरी थाम साजन ले चलो अब उस जहां,
चाह इक दूजे की ‘ भी तो आज फलनी चाहिए
…
जोश भर कर ज़िंदगी का अब मज़ा ले लो सजन
साथ लहरें भी नदी की अब उछलनी चाहिए
रेखा जोशी
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteघर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें।
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर आभार आपका 🙏
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसादर आभार आपका 🙏
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