दोहे
सजना को पाती लिखूँ,भर नैनों में नीर पगला मोरा मन भया, जियरा हुआ अधीर ... घर आये मोरे पिया, हुई धूप में छाँव माथे पे टीका सजे, पायल छनके पाँव
रेखा जोशी
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