Friday, 31 January 2020

धरतीपुत्र


धरती से सोना उगाता
धरतीपुत्र कहलाता
.
मेहनत करता  जी तोड़ 
दो बैलों की जोड़ी ही 
संगी साथी उसके 
कड़ी धूप या हो फिर सर्द हवायें 
धरती से सोना उगाता 
धरतीपुत्र कहलाता
.. 
भर कर वह पेट सबका
खुद भूखा सो जाता
फिर भी नहीं घबराता
देख फसल खड़ी खलिहान में
मन ही मन हर्षाता
धरती से सोना उगाता 
धरतीपुत्र कहलाता
... 
लेकिन नही सह पाता
गरीबी सूखा और क़र्ज़ की मार
लाचार असहाय दुखी
आखिर थक हार कर
जीवन से वह छोड़
सबका साथ थाम लेता
अंत में फिर  मौत का हाथ
धरती से सोना उगाता 
धरतीपुत्र कहलाता

रेखा जोशी

Wednesday, 29 January 2020

स्पर्श

शीर्षक. स्पर्श 

सात दिन बीत चुके थे ,माला अभी तक कोमा में थी ,अस्पताल में जहाँ डाक्टर जी जान से उसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे वहीँ माला का पति राजेश अपने एक साल के बेटे अंकुर के साथ ईश्वर से माला की सलामती की दुआ कर रहा था । नन्हा अंकुर अपनी माँ का सानिध्य पाने को बेचैन था ,लेकिन उस नन्हे के आँसू राजेश के नयन भी सजल कर देते थे ,आखिर हार कर राजेश उसे अस्पताल में माला के पास ले गया और रोते हुये अंकुर को माला के सीने पर रख दिया ,”लो अब तुम्ही सम्भालो इसे ,इस नन्हे से बच्चे का रोना मुझसे और नहीं देखा जाता ,”यह कहते ही वह फूट फूट कर रोने लगा । इधर रोता हुआ अंकुर माँ का स्नेहिल स्पर्श पाते ही चुप हो गया और उधर अपने लाडले के मात्र स्पर्श ने माँ की ममता को झकझोर कर उसे मौत के मुहँ से खींच लिया ,माला कौमा से बाहर आ चुकी थी ।

रेखा जोशी


Monday, 27 January 2020

रिश्ते

रिश्ते 
रिश्ते जी हाँ रिश्ते, इस धरती पर जन्म लेते ही हम कई रिश्तों में बंध जाते हैं माँ बाप, भाई, बहन, दादा दादी, चाचा चाची, जैसे अनगिनत रिश्ते हमारे अपने हो जाते हैं, एक दूसरे के प्रति प्यार प्रेम, स्नेह के अटूट बंधन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाते हैं, जैसे जैसे हम बड़े होते हैं तो दोस्ती, ससुराल के रिश्ते, जीवन साथी, औलाद अनेक व्यक्तियों के साथ रिश्ते जुड़ जाते हैं, लेकिन यह भी देखा गया है कि जीवन के इस सफर में कई रिश्ते पीछे रह जाते और कई नए रिश्ते भी जुड़ते रहते हैंl समय परिवर्तनशील है और समय के साथ साथ रिश्तों में भी बदलाव आता है l छोटे बच्चे को माँ बाप की आवश्यता होती है परंतु धीरे धीरे जब व्यक्ति स्वावलंबी हो जाता है और माता पिता पर निर्भर नहीं रहता तो रिश्तों में बदलाव आना स्वाभाविक है, ऐसा नहीं कि प्रेम या स्नेह में कमी होती है उस व्यक्ति की प्रथमिकतायें बदल जाती हैं, यही कारण है कि समय के साथ रिश्तों में भी बदलाव आ जाता है l
रेखा जोशी 

Sunday, 26 January 2020

मुश्किलें होंगी आसां गीत गुनगुनाया कर

माना कठिन जिंदगी फिर भी मुस्कुराया कर

कर सामना, खुद को इतना भी मत बचाया कर

..

लाख गम खड़े हैं जीवन सफर की राहों पे

न हो उदास हँस कर उन्हें तू अपनाया कर

रु कना नहीं, झुकना नहीं जीवन के पथ पे

चलता चल मुसाफिर पथ पर न डगमगाया कर

रख विश्वास खुद पर अपना और बढ़ता चल

मुश्किलें होंगी आसां गीत गुनगुनाया कर

उपवन. में खिलें गे फूल भी तो इक दिन सजन

कर इंतजार पिया, यूँही मत घबराया कर

.रेखा जोशी

Friday, 24 January 2020

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

सभी मित्रों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

वन्देमातरम
भारत माता की जय

आँचल में बीता बचपन जननी जन्म भूमि 
लुटा दूँगा जान तुझ पर जननी जन्म भूमि 
तिलक इस पावन माटी का  माथे सजा  लूँ 
है  माटी बहुत अनमोल जननी  जन्मभूमि 
जयहिन्द

रेखा जोशी

Wednesday, 15 January 2020

धूप

ठंड के मौसम में भाती धूप

गुम हुई आज खिलखिलाती धूप

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छिप गई है सफेद आँचल तले

धरा पर जो थी इठलाती धूप

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है ठण्डी बर्फ सी चली हवाएं

अच्छा लगे है. पीना गर्म सूप

..

सर्दी से ठिठुरता रहता है तन

अच्छा लगता जब मुस्काती धूप

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सूरज देव जब देते है. दर्शन

खिलती धरती गुनगुनाती धूप

रेखा जोशी

Saturday, 11 January 2020

जीवन में आ जाती बहार, तुम जो आ जाते इक बार

जीवन में आ जाती बहार, तुम जो आ जाते इक बार

आसां होती जीवन की राह, मिलता ग़र हमें तेरा प्यार

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जी लेते हम और कुछ देर, संग जो मिलता हमें तेरा

सँवर जाती मेरी तकदीर, खुशियाँ गुनगुनाती मेरे द्वार,

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हमने तो चाहा था दिल से, समझा न तुमने कभी हमें

रूठी है किस्मत हमसे आज, जीते तुम औ हम गए हार

बहुत हुआ अब आओ सनम, न लो अब इम्तिहान साजन

मर जायेगे बिन तेरे हम कर दो पिया बगिया गुलजार

..

पूछे हैं हम से तन्हाईयाँ, जीते रहे हैं किसके लिए

आने से तेरे फिर से सजन, लौटें गी घर खुशियाँ हजार

रेखा जोशी

Monday, 6 January 2020

विवाह एक उत्सव

विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रथा है, हिन्दू धर्म के अनुसार विवाह गृहस्थ आश्रम की नीव है जिसमें स्त्री पुरुष मिल कर परिवार का निर्माण करते हैं l पति और पत्नी के इस नव जीवन को सामाजिक मान्यता देने के लिए विवाह को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है और इस समारोह को मनाने के लिए दोनों ओर के माता पिता यथा अनुसार पैसा भी खर्च करते हैं, लेकिन देखने में आता है कि कई लोग इस समारोह में अनावश्यक धन लुटाते हैं, अब हर कोई मुकेश अंबानी की तरह आमिर तो है नहीं जो शाही शादी कर सके लेकिन इस खुशी के समारोह में लोग अपनी हैसियत से ऊपर खर्च कर देते हैं, चाहे इसके उन्हें कर्ज ही क्यों न लेना पड़े l

विवाह में बजट बना कर खर्च को कई प्रकार से कम किया जा सकता है जैसे शादी की पोशाक, मंडप की सजावट, खान-पान , उपहार और कई अन्य वस्तुएँ पर अपने बजट को देखते हुए काफी पैसे बचाये जा सकते हैं। एक इवेंट मैनेजर के अनुसार शादी के खर्चों में कटौती हर तरह से जरूरी है। उनका मानना है कि इन खर्चों का कोई अंत नहीं होता। और पैसे चाहे जिसके लग रहे हों, इसका लगभग पच्चीस से तीस प्रतिशत फिजूलखर्च ही होता है। शादी में पैसे को सोच-समझ कर खर्च किया जाए, तो इन्हीं बचे हुए पैसों का इस्तेमाल बाद में कई उपयोगी चीजों पर किया जा सकता है। नई जिंदगी शुरू करने के लिए कई चीजों की जरूरत होती है, अगर आपको पैसा खर्च ही करना है, तो उसे आवश्यकता अनुसार ही खर्च करना चाहिए और फिजूलखर्ची करने से बचना चाहिए l