दर्द का सागर प्रतिदिन जाता भरता
हलाहल पीना तुम मुझे भी सिखा दो
कर जोड़ अपने प्रार्थना प्रभु करता
..
सारथी पार्थ के , गीता पाठ समझाया
राधा के साँवरे, था प्रेमरस छलकाया
कान्हा के रंग में, रास रचाती गोपियाँ
नतमस्तक धनंजय,विराट रूप दिखलाया
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment