Monday, 11 March 2024

मुक्तक

जय शिव शंकर भोलेनाथ दुख हरता
दर्द का  सागर  प्रतिदिन जाता भरता
हलाहल पीना तुम मुझे भी सिखा दो
कर जोड़  अपने  प्रार्थना  प्रभु करता
..
सारथी पार्थ के , गीता पाठ समझाया
राधा के साँवरे, था प्रेमरस छलकाया   
कान्हा के रंग में, रास रचाती गोपियाँ
नतमस्तक धनंजय,विराट रूप दिखलाया

रेखा जोशी 

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