उस दिन
रस छलका रहीं थीं
बाते तुम्हारी
याद आ रही थी वो भूली बिसरी यादें
गुज़ारे थे जो पल हम दोनों में
मुझे याद है
वो आखिरी मुलाकात
जब बात करते करते तुम
चुप हो गई थी
सोचा था मैंने शायद तुम
सो गई हो
बिस्तर पर लेटते ही
लेकिन मुझे
कुछ चुभने लगी तुम्हारी
खामोशी
उठ कर देखा तो केवल तेरा
जिस्म पड़ा था सामने मेरे
और तुम
दूर जा चुकी थी सदा सदा
के लिए
छोड़ तन्हा मुझे आंसू बहाने के लिए
रेखा जोशी
सुन्दर
ReplyDeleteजी सादर आभार आदरणीय 🙏🙏
Deleteअति सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteअभिलाषा जी सादर आभार आदरणीया 🙏🙏
Deleteसादर आभार अलोक जी 🙏🙏
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर आभार आपका 🙏🙏
Deleteअनायास ही दर्द दे दिया आपकी कविता ने...उफ्फ़!
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