Wednesday, 20 March 2024

आखिरी मुलाकात

कितनी खुश थी तुम
उस दिन
रस छलका रहीं थीं
बाते तुम्हारी
याद आ रही थी वो भूली बिसरी यादें
गुज़ारे थे जो पल हम दोनों में
मुझे याद है
वो आखिरी मुलाकात
जब बात करते करते तुम
चुप हो गई थी
सोचा था मैंने शायद तुम
सो गई हो
बिस्तर पर लेटते ही
लेकिन मुझे
कुछ चुभने लगी तुम्हारी
खामोशी
उठ कर देखा तो केवल तेरा
जिस्म पड़ा था सामने मेरे
और तुम
दूर जा चुकी थी सदा सदा
के लिए
छोड़ तन्हा मुझे आंसू बहाने के लिए

रेखा जोशी

9 comments:

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    1. जी सादर आभार आदरणीय 🙏🙏

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  2. अति सुन्दर रचना

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  3. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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    1. अभिलाषा जी सादर आभार आदरणीया 🙏🙏

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    2. सादर आभार अलोक जी 🙏🙏

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  4. Replies
    1. सादर आभार आपका 🙏🙏

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  5. अनायास ही दर्द दे दिया आपकी कविता ने...उफ्फ़!

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