1.
आधार छंद गीतिका
2122 2122 2122 212
ऋतु सुहानी आ गई खिलती बहारें वादियाँ
फूल उपवन खिल उठे फूलों भरी हैँ डालियाँ
गुनगुनाते साथ भौरे गीत कोयल गा रही
मुस्कुराती आज बगिया खिलखिलाती तितलियाँ
2.
आधार छंद- गीतिका
विधान- 212 2 2 12 2 2122 212
आज अपनों से हमें वादा निभाना है यहां
साथ रह कर जिन्दगी में मुस्कुराना है यहां
जिन्दगी रूके नहीं है चार दिन की चाँदनी
तोड़ के बंधन हमें सब छोड़ जाना है यहां
रेखा जोशी
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