आधार छंद- सार
विधान- कुल २८ मात्रा, १६,१२ पर यति। अन्त में गुरु गुरु अनिवार्य।
समांत आना पदाँत होगा
बहुत किया इंतजार तेरा, तुमको आना होगा
सोया भाग्य मेरा भगवन, तुम्हें जगाना होगा
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हूँ अकेली इस जगत में प्रभु, कोई नहीं सहारा
बीच भंवर डूब रही नाव, तुम्हें बचाना होगा
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ना कोई है संगी साथी, जीवन से मैं हारी
निर्जन राह पर चलती रही, साथ निभाना होगा
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सूना पथ पाँव पड़े छाले, भगवन किसे पुकारूँ
कोई नहीं तुम बिन मेरा,गले लगाना होगा
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हे दीन दयाला प्रभु मेरे, रक्षा करो तुम मेरी
तुम ही तुम रखवाले मेरे, पास बुलाना होगा
रेखा जोशी
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