नवगीत
मत तोड़ फूल को शाख से
झूमते झूलते संग हवा के
हिलोरें ले रही शाखाओं पर
सज रहें ये खिले खिले पेड़
बहने दो संगीतमय लहर
यही तो गीत है जीवन का
....................................
रहने दो फूल को शाख पर
वहीँ खिलने और झड़ने दो
बिखरने दो इसे यूं ही यहाँ
आकुल है भूमि चूमने इसे
महकने दो आँचल धरा का
सृजन होगा नवगीत यहाँ
बहने दो संगीतमय लहर
यही तो गीत है जीवन का
....................................
रहने दो फूल को शाख पर
वहीँ खिलने और झड़ने दो
बिखरने दो इसे यूं ही यहाँ
आकुल है भूमि चूमने इसे
महकने दो आँचल धरा का
सृजन होगा नवगीत यहाँ
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