चाँद से आज मै पूछती हूँ सवाल ?
विरहन को तड़पाते हो तुम जहां ,
प्रिय मिलन को रिझाते क्यों वहां?
चांदनी से मिले जहां ठंडक किसी को ,
जलाती वही ठंडक क्यों विरहन को ?
प्रिय मिलन की आस में बैठी चकोरी ,
निशब्द निहारे एकटक सी ओर तेरी ,
कैसा फैलाया है तूने यह माया जाल
चाँद से आज मै पूछती हूँ सवाल ?
बहुत ही सुन्दर सवाल,आभार.
ReplyDelete"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"
राजेंद्र जी , आपका हार्दिक आभार
Delete
ReplyDeleteप्रेम की गहन अनुभूति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई और शुभकामनायें
आपका हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
शशि जी ,मेरी रचना पसंद करने पर और मेरी साईट ज्वाइन करने पर हार्दिक धन्यवाद ,इस रचना को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयह सवाल मन से पूछिये न!
ReplyDeleteप्रतिभा जी ,मन में तो अनेक सवाल है जिसका जवाब पाना कठिन होता है ,आभार
Deleteचाँद कहां कुछ बोलेगा ... ये तो खुद के मन की स्थिति है ...
ReplyDeleteप्रेम में ऐसा ही होता है ...
धन्यवाद दिगम्बर जी
Deleteरेखा जी कविता के माध्यम से प्रेम से उसे(चाँद को ) काठघड़े खड़ा कर दिया ,बहुत अच्छा .आपभी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें रचनायों का विनिमय आसान होंगा, अच्छा लगेगा ,मैंने आपका किया है.
ReplyDeletelatest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
कालिपद जी मेरी साईट ज्वाइन करने और उत्साह वर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार ,धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
ReplyDeleteमदनजी आपका हार्दिक आभार ,धन्यवाद
Deleteसुन्दर रसमय काव्य |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
उत्साह वर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार ,धन्यवाद
Delete