Wednesday, 2 December 2015
है काँटों में खिलती यह ज़िंदगी
फूलों की सेज नही यह ज़िंदगी
आँखे नम भी करती यह ज़िंदगी
है कभी महकते फूल काँटों में
है काँटों में खिलती यह ज़िंदगी
रेखा जोशी
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