Sunday, 6 December 2015

दीप हूँ मै

हाँ
दीप हूँ मै
प्रज्वलित हो कर
भरता हूँ मै
उजाला
जहाँ रहता 
घना अँधेरा
रोशन कर
वहाँ लाता हूँ मै 
खुशियाँ
दीप ज्ञान का
तुम जलाओ इक 
दीप्त कर
हर अज्ञानता
रोशन कर लौ प्रेम की
ज्योति जग में
 तुम फैलाओ

 रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment