हाँ
दीप हूँ मै
प्रज्वलित हो कर
भरता हूँ मै
उजाला
जहाँ रहता
घना अँधेरा
रोशन कर
वहाँ लाता हूँ मै
खुशियाँ
दीप ज्ञान का
तुम जलाओ इक
दीप्त कर
हर अज्ञानता
रोशन कर लौ प्रेम की
ज्योति जग में
तुम फैलाओ
रेखा जोशी
दीप हूँ मै
प्रज्वलित हो कर
भरता हूँ मै
उजाला
जहाँ रहता
घना अँधेरा
रोशन कर
वहाँ लाता हूँ मै
खुशियाँ
दीप ज्ञान का
तुम जलाओ इक
दीप्त कर
हर अज्ञानता
रोशन कर लौ प्रेम की
ज्योति जग में
तुम फैलाओ
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment