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तिरा साजन फ़साना और ही था
तिरा साजन फ़साना और ही था
न मिलने का बहाना और ही था
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चले तुम छोड़ कर महफ़िल हमारी
कभी फिर रूठ जाना और ही था
...
रही हसरत अधूरी प्यार में अब
वफ़ा हम को दिखाना और ही था
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शमा जलती रही है रात भर अब
मिला जो वह दिवाना और ही था
...
न बदला रूप अपना ज़िन्दगी ने
जिया दिल से ज़माना और ही था
रेखा जोशी
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