हूँ धरती पर मै
चाँद आसमाँ पर
लेती अंगड़ाईयाँ
लहराती चांदनी
झूम रही नाच रही
सागर की मचलती
लहरों पर
अमृत रस बरसा रही
शीतल चाँदनी गगन से
ठंडी हवा के झोंकों से
सिहरने लगा
नाचने लगा आज
तन मन यहाँ पर
लेने लगी अंगड़ाइयाँ
मन में मेरे
मचलने लगे कई ख़्वाब
नैनों में मेरे
लहरों के संग संग
रेखा जोशी
चाँद आसमाँ पर
लेती अंगड़ाईयाँ
लहराती चांदनी
झूम रही नाच रही
सागर की मचलती
लहरों पर
अमृत रस बरसा रही
शीतल चाँदनी गगन से
ठंडी हवा के झोंकों से
सिहरने लगा
नाचने लगा आज
तन मन यहाँ पर
लेने लगी अंगड़ाइयाँ
मन में मेरे
मचलने लगे कई ख़्वाब
नैनों में मेरे
लहरों के संग संग
रेखा जोशी
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