खिली कलियाँ यहाँ उपवन खिला है
जहाँ में प्यार साजन अब मिला है
...
जहाँ में प्यार साजन अब मिला है
...
मिला जो प्यार में अब साथ तेरा
नहीं अब प्यार से कोई गिला है
..
दिखायें दर्द अपना अब किसे हम
हमारे दर्द का यह सिलसिला है
..
रहो पास' हमारे रात दिन तुम
ज़मीं के संग अम्बर भी हिला है
....
लगा दी आग सीने में हमारे
बनी अब राख पत्थर का किला है
रेखा जोशी
नहीं अब प्यार से कोई गिला है
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दिखायें दर्द अपना अब किसे हम
हमारे दर्द का यह सिलसिला है
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रहो पास' हमारे रात दिन तुम
ज़मीं के संग अम्बर भी हिला है
....
लगा दी आग सीने में हमारे
बनी अब राख पत्थर का किला है
रेखा जोशी
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