प्रदत्त छंद - पदपादाकुलक चौपाई (राधेश्यामी)
जब चाँद छुपा है बादल मेँ, तब रात यहॉं खिल जाती है
घूँघट ओढ़ा है अम्बर मेँ, चाँदनी यहाँ शर्माती है
तारों की छाया मेँ मिल के ,आ दूर कहीं अब चल दें हम
हाथों में हाथ लिये साजन,ज़िन्दगी बहुत अब भाती है
हाथों में हाथ लिये साजन,ज़िन्दगी बहुत अब भाती है
रेखा जोशी
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