माना उलझन की किताब है ज़िंदगी
लेकिन फिर भी लाजवाब है ज़िंदगी
,
आंसू बहते कहीं मनाते जश्न यहां
देती सुख दुख बेहिसाब है ज़िंदगी
,
बदल रही रूप हर पल ज़िन्दगी यहां
रोज नए दिखाती ख्वाब है ज़िंदगी
,
ढलती शाम डूबता सूरज हर रोज़
भोर का नया आफताब है ज़िंदगी
,
मिले गम खुशियां भी मिली हज़ार यहां
खुशियों में खिलता गुलाब है ज़िंदगी
रेखा जोशी
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