Monday 31 July 2017

खुशियों में खिलता गुलाब है ज़िन्दगी

माना उलझन की किताब है ज़िंदगी
लेकिन फिर भी लाजवाब है ज़िंदगी
,
आंसू  बहते कहीं मनाते जश्न यहां
देती सुख दुख   बेहिसाब   है ज़िंदगी
,
बदल रही रूप हर पल ज़िन्दगी यहां
रोज  नए  दिखाती ख्वाब है ज़िंदगी
,
ढलती शाम डूबता   सूरज हर रोज़
भोर का नया  आफताब  है ज़िंदगी
,
मिले गम खुशियां भी मिली हज़ार यहां
खुशियों में खिलता  गुलाब है  ज़िंदगी

रेखा जोशी

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