माना था तुम्हे अपना गैरों को दिया सहारा
अब किसे पुकारे न मिला हमे तेरा इक सहारा
चाहत तेरी लिए भटकते रहे हम दर ब दर
अच्छा किया जो तुमने कर लिया यूँ किनारा
तन्हाई में तेरी तस्वीर से करते रहे बाते
चुरा लिया चैन दिल का क्यों चुपके से अब हमारा
यादों में आ कर अक्सर मुस्कुराते हो हमारी
छेड़ देते हो दिल में हमारे फिर वही तराना
रख लिया छुपा कर तुम्हे पलकों में अपनी हमने
देख लेंगे जीवन भर हम अब तो यही नज़ारा
रेखा जोशी
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