जुल्फों के साये में कभी गुज़रे थे हमारे दिन रात
तन्हा हम रह गये सिसकते है अब हमारे जज़्बात
,
खता ऐसी क्या हुई हमसे जो तुमने किया किनारा
न जाने रूठे फिर क्यों आज साजन हमारे बिन बात
,
है फूल खिले चमन में छाई बहारें अब बेशुमार
न जाने कब होगी फिर हमारी तुम्हारी मुलाकात
,
रह गये ख्यालों में हमारे खूबसूरत याद बनकर
जाने कहाँ गई अचानक ज़िन्दगी देकर हमें मात
,
जुदा हो गये तेरे गेसुओं की कैद से साजन हम
होती पिया अब सदा नैनों से आंसुओं की बरसात
रेखा जोशी
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