Thursday 20 July 2017

तन्हा हम रह गए सिसकते है अब हमारे जज़्बात

जुल्फों के साये में कभी गुज़रे  थे हमारे दिन रात
तन्हा हम  रह गये सिसकते है अब हमारे जज़्बात
,
खता ऐसी क्या हुई हमसे जो तुमने किया किनारा
न जाने रूठे फिर क्यों आज साजन हमारे बिन बात
,
है  फूल खिले चमन में छाई बहारें अब बेशुमार
न जाने कब होगी फिर हमारी तुम्हारी मुलाकात
,
रह गये ख्यालों में हमारे खूबसूरत याद बनकर
जाने कहाँ  गई अचानक ज़िन्दगी देकर हमें  मात
,
जुदा हो गये तेरे गेसुओं की कैद से साजन हम
होती पिया अब सदा नैनों से आंसुओं की बरसात

रेखा जोशी

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