Thursday 29 June 2017

चामर छंद गीतिका

छन्द- चामर
मापनी - 21 21 21 21 21 21 21 2 

मीत आज ज़िन्दगी हमें  रही पुकार है
रूप देख ज़िन्दगी खिली यहाँ बहार है
,
पास पास  हम रहें मिले ख़ुशी हमें सदा
छा रहा गज़ब यहाँ खुमार ही खुमार है

छोड़ना न हाथ साथ साथ हम चले सदा
प्रीत रीत जान ज़िन्दगी यहाँ हमार है
,
मिल गया जहाँ हमें मिले हमें सजन यहाँ
पा लिया पिया यहाँ करार ही करार है
,
दूर हम वहाँ चलें  मिले  जहाँ धरा गगन
प्यार से पुकार लो  मिला हमे सँसार है

रेखा जोशी

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