Monday, 12 June 2017

झूमता सावन

चलती  ठंडी हवायें झूमता सावन आया
नभ गरजे  बदरा  बिजुरी लहराये
अब छाई हरियाली  मौसम है मन भाया
नाचे मोर आंगन में जियरा हर्षाये
झूला झूलती सखियाँ  गाती कोयलिया गीत
पिया गये परदेस  लागे नाहि जियरा
बरसा पानी नभ से पपीहा गुनगुनाया
आये याद प्रियतम है गोरी शर्माये

रेखा जोशी

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