चलती ठंडी हवायें झूमता सावन आया
नभ गरजे बदरा बिजुरी लहराये
अब छाई हरियाली मौसम है मन भाया
नाचे मोर आंगन में जियरा हर्षाये
झूला झूलती सखियाँ गाती कोयलिया गीत
पिया गये परदेस लागे नाहि जियरा
बरसा पानी नभ से पपीहा गुनगुनाया
आये याद प्रियतम है गोरी शर्माये
रेखा जोशी
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