वक्त की धारा में सदा बहता जीवन
कहीं दुख के सागर में डूबता जीवन
आओ जियें हर ऋतू हर मौसम हम यहाँ
कहीं गागर ख़ुशी से यह भरता जीवन
,
है शतरंज की बिसात पर टिकी यह ज़िन्दगी
सोच समझ चलना घात पर टिकी यह ज़िन्दगी
न जाने कब चल दे कोई टेढ़ी चाल यहां
हमारी शह और मात पर टिकी यह ज़िन्दगी
रेखा जोशी
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