जब रात में सिमट जाता उजाला सजन
सुबह लाती फिर खुशियों की माला सजन
,
देख तेरे नैन हम देखते रह गये
भूल गये फिर सदा मधुशाला सजन
,
हर कर्म हम करेंगे साजन साथ साथ
रंग में अपने हमें रंग डाला सजन
,
सुन्दर सलोना बनायेंगे घर अपना
संग संग खायेंगे फिर निवाला सजन
,
साथी हाथ बढ़ा कर देना साथ सदा
संग जो तुम हो बना घर शिवाला सजन
रेखा जोशी
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