कैसे जियेंगे मिलकर जहाँ में हँसते हुए टूट जायेंगे हम ज़िन्दगी यह सहते हुए बीत जायेगी यह ज़िन्दगी हमारी इक दिन कभी दुआ तो कभी बद्दुआ से लड़ते हुए
रेखा जोशी
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