आधार छंद - सिन्धु
मापनी - 1222 1222 1222
गीतिका
समांत - आती, पदांत - है ।
सजन तेरी हमे जब याद आती है
ख़ुशी रह रह पिया तब गीत गाती है
....
मचल जाते यहाँ अरमान दिल में जब
सुहानी रात भी तब गुनगुनाती है
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चले आओ पुकारें आज दिल मेरा
चँदा की चाँदनी भी अब बुलाती है
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पुकारे ज़िंदगी जी लो यहाँ हर पल
सजन अब ज़िंदगी भी मुस्कुराती है
....
खिले है फूल पल दो पल चमन में अब
बहारें आज साजन खिलखिलाती है
रेखा जोशी
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