Monday, 26 June 2017

टूट जो मोती गये उनको पिरो सकता नही

बहर- रमल मुसम्मन महज़ूफ़
अर्कान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
वज़्न-  2122. 2122. 2122. 212. 

काफ़िया का स्वर- ओ
रदीफ़- सकता नहीं

टूट जो मोती गये उनको पिरो सकता नही
ज़ख्म ऐसे अब मिले आंखे भिगो सकता नही
,
रात दिन हम याद करते है सदा  तुमको पिया
दर्द पाया इस कदर अब रात सो सकता नही
,
तुम हमारे प्यार को समझें नहीअब क्या करें
प्यार का देखा कभी जो ख्वाब खो सकता नही
,
बेवफा से प्यार हमने ज़िन्दगी  में क्यों किया
आँख में आँसू हमारे और रो सकता नही
,
रुक जाओ दूर हमसे तुम नही जाना सजन
ज़िन्दगी में प्यार हमसे दूर हो सकता नही

रेखा जोशी

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