महिला शक्ति
वाराणसी में एक छोटा सा गांव शंकरपुर और उसमें रहने वाली शन्नो जिसने प्रसव के समय एक साहूकार से दस प्रतिशत की दर से पांच सौ रूपये कर्ज लिए थे। ब्याज ज्यादा होने के कारण दस साल बाद वो रकम सात हजार हो गई, पैसा चुकता न करने के कारण वो साहूकार उसे बंधुआ मंजदूर बनाना चाहता था। तभी उसके जीवन में मधु आई, जिसने शन्नो और कर्ज से दबी कई महिलाओं के साथ मिलकर "महिला शक्ति " नामक संस्था बनाईl
जिसके माध्यम से गरीबों और किसानों का जीवन बेहतर हो lसके।"
हर महिला के सहयोग से हर महीने थोड़े थोड़े पैसे जमा होने लगे, धीरे धीरे आस पास के गावों में भी महिला शक्ति के समूह बढ़ने लगे, साहूकारों से ली गई उधारी चुकता होने लगी, किसानों को कम ब्याज पर पैसा मिलने लगा l अब महिला शक्ति लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से पैसा देती हैं। पैसा भी वह यह जांचने के बाद देती हैं कि कौन कब कितना पैसा लौटा सकता है, अब तो यह हाल है कि साहूकार भी संस्था से जरूरत पड़ने पर पैसा उधार लेते हैं l
रेखा जोशी
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