Monday, 15 January 2018

दिखावे की जिंदगी (लघु कथा)

सुमी अपनी ज़िन्दगी में सब कुछ जल्दी जल्दी हासिल कर लेना चाहती थी ,एक सुंदर सा सब सुख सुविधाओं से भरपूर बढ़िया आरामदायक घर ,खूबसूरत फर्नीचर और एक महंगी लम्बी सी कार ,जिसमें बैठ कर वह साहिल के साथ दूर लम्बी सैर पर जा सके ,वहीं साहिल के अपने भी कुछ सपने थे ,इस तकनीकी युग में एक से एक बढ़ कर मोबाईल फोन,लैपटॉप आदि l दोनों पति पत्नी जिंदगी का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहते थे|अन्य लोगों की देखा देखी उपरी चमक धमक से चकाचौंध करने वाली रंग बिरंगी दुनिया उन्हें अपनी ओर ऐसे आकर्षित कर रही थी जैसे लोहे को चुम्बक अपनी तरफ खींच लेती है |

एक अच्छी सी सोसाईटी देख कर साहिल ने बैंक से लोन ले कर फ्लैट खरीद लिया,उसके बाद तो दोनों ने आव देखा न ताव धड़ाधड़ खरीदारी करनी शुरू कर दी ,क्रेडिट कार्ड पर  पैसा खर्च करना कितना आसान था ,कार्ड न हुआ जैसे कोई जादू की छड़ी उनके हाथ लग गई ,एक के बाद एक नई नई वस्तुओं से उनका घर भरने लगा l
जब पूरा विवरण पत्र हाथ में आया तो दोनों के होश उड़ गए ,कैसे चुका पायें गे, उधर क्रेडिट कार्ड चलाने वाली कम्पनी मूल धनराशी के साथ साथ ब्याज पर ब्याज की भी मांग करने लगी और अंत में  पैसा चुकता करने के चक्कर में उनका घर बाहर सब कुछ  बिक गया l

रेखा जोशी

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