सूनी शाखाओं को नव कोपलों का इंतज़ार आयेगी सूखी डालियों पर फिर से नव बहार नाचेंगी अरूण की रश्मियाँ फूलों पर फिर से गाती मुस्कुराती रहेगी ज़िंदगी बार बार
रेखा जोशी
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