Sunday, 14 January 2018

नव बहार


सूनी  शाखाओं को नव कोपलों का इंतज़ार
आयेगी सूखी डालियों पर फिर से नव बहार
नाचेंगी अरूण की रश्मियाँ फूलों पर फिर से
गाती  मुस्कुराती  रहेगी ज़िंदगी    बार   बार 

रेखा जोशी 

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