Thursday, 30 August 2018

नदिया

लहरें गुनगुनाती किनारों के बीच
मचलती लहराती किनारों के बीच
.
हिमालय से निकली कल कल मधुर स्वर
है नाचती गाती किनारों के बीच
...
है बहती नदिया अठखेलियाँ करती 
सरिता खिलखिलाती किनारों के बीच
.
लहर लहर बेताब मिलने सागर से
नदी शोर मचाती किनारों के बीच
...
नदिया सी बहती है यह जीवन धारा
है जीना सिखाती किनारों के बीच

रेखा जोशी

मुक्तक


आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 
चंचल  नयन  ढूंढें  तुम्हें यहाँ वहाँ
कर  रहे  तुम्हारा  हम  इंतज़ार  है

रेखा जोशी

Tuesday, 28 August 2018

दौड़ी आई राधिका (गीत)

दौड़ी आई राधिका छोड़ सब काम धाम
जादू कर डाला तेरी बांसुरी ने श्याम
.
भूल गई सुध बुध सुन मुरली की धुन
खिची चली आई बजे पायल रुनझुन
छेड़ दी कैसी तूने  ये तान  मनमोहन
बावरी भई प्रीत होंठो पे तेरा नाम

दौड़ी आई राधिका..
.
आँख मिचौली यूँ मत खेलो भगवन
जाओगे कहाँ छोड़ मोरा ये मन
रूप सलोना सजे पीताम्बर तन
वारी जाये कान्हा पर राधा सुबह शाम
.
दौड़ी आई राधिका छोड़ सब काम धाम
जादू कर डाला तेरी बांसुरी ने श्याम

रेखा जोशी

क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ
1
ओ पंछी छोड़ पिंजरा
भर ले उड़ान
नील गगन में
सांस ले तू
उन्मुक्त खुली हवा में
तोड़ बंधन
फैला कर पँख
ज़मीं से अम्बर
छू लेना तुम
अनछुई ऊँचाईयाँ
………………
2
बहता पानी नदिया का
चलना नाम जीवन का
बहता चल धारा संग
तुम में रवानी
है हवा सी
खिल उठें वन उपवन
महकने लगी बगिया
रुकना नही चलता चल
................
3
खिलती है
कलियाँ
महकती है
बगिया
बिखरती रहे
महक
दोस्ती की
बनी रहे दोस्ती
हमारी सदा
रेखा जोशी

Wednesday, 22 August 2018

उड़ते पंछी

उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान
.
भरोसा है अपने
पंखों पर
हौंसलों में है जान
थकते नहीं रुकते नहीं
लड़ते आँधियों तूफानों से
पा लेते हैं मंज़िल अपनी
नहीं मानते कभी हार
.
मिल कर उड़ते
साथी संगी
देते इक दूजे का साथ
चहक चहक
खुशियाँ बांटे
गीत मधुर स्वर में गाते
..
उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान

रेखा जोशी

राखी की हार्दिक शुभकामनाएं


भाई बहन के प्यार का छोटा सा संसार
छोटे  से संसार में छुपा है अनुपम प्यार
रक्षा भैया तुम करना माथे तिलक सजाये
राखी बांध कलाई पर बहना करे दुलार

रेखा जोशी

Tuesday, 21 August 2018

आओ बनें इक दूजे के सहारे


पुष्पित उपवन यहाँ सुन्दर नज़ारे
आओ  बनें इक  दूजे  के  सहारे
तर्क वितर्क में आखिर क्या है रखा
हंसते    खेलते    जिंदगी   गुज़ारें

रेखा जोशी

Friday, 10 August 2018

बंजारे हम बंजारे

घूम घूम
जीवन है गुज़ारे
बंजारे  हम   बंजारे

गर्मी हो या हो सर्दी
चलते जाना चलते जाना
नहीं है कोई ठौर ठिकाना
मस्ती में ही जीवन बिताना
ओढ़े रात को चंदा तारे

घूम घूम
जीवन है गुज़ारे
बंजारे  हम   बंजारे

धराअपनी अपना गगन
अपनी दुनिया रहते मगन
मिल बैठ सभी खाना खाना
गीत मिलजुल कर है गाना
रहते हम मिलजुल कर सारे

घूम घूम
जीवन है गुज़ारे
बंजारे  हम   बंजारे

रेखा जोशी

Wednesday, 8 August 2018

मुक्तक

दो दिन की है ज़िन्दगी पूरे अरमान कीजिए
रंग रूप का अपने न कभी भी गुमान कीजिए
रहें सदा हर्षित मनाएँ उत्सव सी जिंदगी
पल दो पल यहाँ पर कभी तो आराम कीजिए
रेखा जोशी

मुक्तक


मुक्तक

है  बोल सत्य के  कड़वे लगते जीवन  में
सत्य की  राह पर जाना  चलते जीवन में
झूठ दो दिन चले यहां अंत सत्य ही जीते
नहीं झूठ से  सांठ  गांठ   करते जीवन में

रेखा जोशी 

सावन पर गीत

गीत
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ
……
है तीज का त्यौहार बाबुल तोरे अँगना
मेहँदी रचे हाथ नाम के तोरे सजना
खन खन चूड़ी खनके माथे बिंदिया सजाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ
…...
न लागे मोरा जिया तेरे बिन ओ सैयाँ
पकड़ो मोरी बैयाँ लूँगी सजन बलैयाँ
छन छन पायल बाजे रूठा बलम मनाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ
……
रिम झिम बरसे पानी ठंडी पड़े फुहारें
धड़के मोरा जियरा साजन तुम्हे पुकारे
संग चलूँ मै तेरे सातों वचन निभाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी निहारूँ

रेखा जोशी

Friday, 3 August 2018

यूँ ही आता है ख्याल कभी कभी


यूँ ही आता है ख्याल कभी कभी
उर  में उठे ये  सवाल कभी कभी
गर  तुम  न होते  कैसे  जीते  हम
कौन पूछता फिर हाल कभी कभी
रेखा जोशी