मुक्तक
है बोल सत्य के कड़वे लगते जीवन में सत्य की राह पर जाना चलते जीवन में झूठ दो दिन चले यहां अंत सत्य ही जीते नहीं झूठ से सांठ गांठ करते जीवन में
रेखा जोशी
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