Tuesday, 28 August 2018

क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ
1
ओ पंछी छोड़ पिंजरा
भर ले उड़ान
नील गगन में
सांस ले तू
उन्मुक्त खुली हवा में
तोड़ बंधन
फैला कर पँख
ज़मीं से अम्बर
छू लेना तुम
अनछुई ऊँचाईयाँ
………………
2
बहता पानी नदिया का
चलना नाम जीवन का
बहता चल धारा संग
तुम में रवानी
है हवा सी
खिल उठें वन उपवन
महकने लगी बगिया
रुकना नही चलता चल
................
3
खिलती है
कलियाँ
महकती है
बगिया
बिखरती रहे
महक
दोस्ती की
बनी रहे दोस्ती
हमारी सदा
रेखा जोशी

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