दौड़ी आई राधिका छोड़ सब काम धाम
जादू कर डाला तेरी बांसुरी ने श्याम
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भूल गई सुध बुध सुन मुरली की धुन
खिची चली आई बजे पायल रुनझुन
छेड़ दी कैसी तूने ये तान मनमोहन
बावरी भई प्रीत होंठो पे तेरा नाम
दौड़ी आई राधिका..
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आँख मिचौली यूँ मत खेलो भगवन
जाओगे कहाँ छोड़ मोरा ये मन
रूप सलोना सजे पीताम्बर तन
वारी जाये कान्हा पर राधा सुबह शाम
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दौड़ी आई राधिका छोड़ सब काम धाम
जादू कर डाला तेरी बांसुरी ने श्याम
रेखा जोशी
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