लहरें गुनगुनाती किनारों के बीच
मचलती लहराती किनारों के बीच
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हिमालय से निकली कल कल मधुर स्वर
है नाचती गाती किनारों के बीच
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है बहती नदिया अठखेलियाँ करती
सरिता खिलखिलाती किनारों के बीच
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लहर लहर बेताब मिलने सागर से
नदी शोर मचाती किनारों के बीच
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नदिया सी बहती है यह जीवन धारा
है जीना सिखाती किनारों के बीच
रेखा जोशी
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