Thursday, 30 August 2018

मुक्तक


आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 
चंचल  नयन  ढूंढें  तुम्हें यहाँ वहाँ
कर  रहे  तुम्हारा  हम  इंतज़ार  है

रेखा जोशी

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