शुभ प्रभात
आंसुओं में डूबी तन्हा ये रात ,
साथी है पास फिर भी तन्हा है रात ।
कभी उड़े थे आकाश में ,सोचती ये बात
मायूस हो नीचे गिरे ,पंख कटे है आज।
वह बीते हुए लम्हे जब आते है याद ,
भीग जाती है पलकें और रोती है रात
टूटे हुए सपनो को आँखों में समेटे ,
बिस्तर पर करवटे बदलती ये रात ।
दर्दे दिल में है अब भी भरे जज्बात ,
मचलते हुए लब पे आने को है बेताब ।
पर सुनी सुनी सी कट गयी ये रात ,
सोचते हुए कब आये गी शुभ प्रभात ।
No comments:
Post a Comment