लोग मुझसे पूछते है,आज क्यूँ मै मौन हूँ ?
प्रेरणा के स्त्रोत सूखे ,कल्पना है मर गई ,
मौत के साए से यूं ,जिंदगी है डर गई
स्तब्ध सा मै देखता हूँ ,सत्य है या सपन है
पूछता हूँ मै स्वयं से ,कौन हूँ मै कौन हूँ ?
रूप कितने जन्म कितने ,मै बदलता आ रहा ,
ज्ञान का यह बोझ हूँ मै ,व्यर्थ ढोता जा रहा ,
युगों युगों से पूछता आया प्रश्न मै एक ही
न जिसका उत्तर मिल सका कौन हूँ मै कौन हूँ ?
गीत कितने छंद कितने ,मै बदलता जा रहा ,
अस्पष्ट सा जो दीखता ,स्पष्ट न कह पा रहा ,
गीत है लय बदलते ये ,स्वर मगर रहता वही,
हर गीत मेरा पूछता ,कौन हूँ मै कौन हूँ ?
लोग मुझसे पूछते है आज क्यूँ मै मौन हूँ ?
यह कविता मेरे पापा श्री महेन्द्र जोशी की लिखी हुई है ,मुझे पसंद आई इसलिए मै इसे पोस्ट कर रही हूँ |
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