दास्तान ए मुहब्बत
दूर जा गिरा कहीं जाम ए उल्फत
लब पे आते ही हाथो से फिसल कर
दास्तान ए मुहब्बत अधूरी रह गई
जो चले गए तुम हमे तन्हा छोड़ कर
....................................................
हमारे प्यार की जिंदगी थी तुम्ही से
क्यूँ छोड़ दिया डूबने मंझधार में हमे
तकते रहे हम अधखुली निगाहों से
और तुम कश्ती में सवार चलते बने
.....................................................
न कोई शिकवा न शिकायत तुमसे
तुम पे ही यह दिल वार दिया हमने
आईना मुहब्बत का धुंधला सा गया
देखी थी कभी तस्वीर ए यार जिसमे
दूर जा गिरा कहीं जाम ए उल्फत
लब पे आते ही हाथो से फिसल कर
दास्तान ए मुहब्बत अधूरी रह गई
जो चले गए तुम हमे तन्हा छोड़ कर
....................................................
हमारे प्यार की जिंदगी थी तुम्ही से
क्यूँ छोड़ दिया डूबने मंझधार में हमे
तकते रहे हम अधखुली निगाहों से
और तुम कश्ती में सवार चलते बने
.....................................................
न कोई शिकवा न शिकायत तुमसे
तुम पे ही यह दिल वार दिया हमने
आईना मुहब्बत का धुंधला सा गया
देखी थी कभी तस्वीर ए यार जिसमे
No comments:
Post a Comment