Sunday, 29 December 2013

शक्ति सवरूप शिवा हो महादेव की तुम

ममतामयी मूरत हो इस जगत की तुम  

नही  कठपुतली  किसी के हाथों की तुम
छू  कर  आसमां  बना  पहचान  अपनी 

शक्ति सवरूप शिवा हो महादेव की तुम 


रेखा जोशी 

Saturday, 28 December 2013

ज़िंदगी है तो ख़ुशी और भी है

हुआ
दुःख
गए मुरझा
कुछ फूल
बगिया के
आस है
फूल और
खिलेंगे
कहीं  रुक
जाना नही
मंज़िल पर
दूर कहीं
मंज़िलें
और
भी है
हो मत
उदास
ज़िंदगी है
तो ख़ुशी
और
भी है

रेखा जोशी


Friday, 27 December 2013

मन ही देवता मन ही ईश्वर

मन ,जी हाँ मन ,एक स्थान पर टिकता ही नही पल में यहाँ तो अगले ही पल न जाने कितनी दूर पहुंच जाता है ,हर वक्त भिन्न भिन्न विचारों की उथल पुथल में उलझा रहता है ,भटकता रहता है यहाँ से वहाँ और न जाने कहाँ कहाँ ,यह विचार ही तो है जो पहले मनुष्य के मन में उठते है फिर उसे ले जाते है कर्मक्षेत्र की ओर । जो भी मानव सोचता है उसके अनुरूप ही कर्म करता है ,तभी तो कहते है अपनी सोच सदा सकारात्मक रखो ,जी हां ,हमें मन में उठ रहे अपने विचारों को देखना आना चाहिए ,कौन से विचार मन में आ रहे है और हमे वह किस दिशा की ओर ले जा रहे है ,कहते है मन जीते जग जीत ,मन के हारे हार ,यह मन ही तो है जो आपको ज़िंदगी में सफल और असफल बनाता है ।
ज़िंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है ,हर किसी की ज़िंदगी में उतार चढ़ाव आते रहते है लेकिन जब परेशानियों से इंसान घिर जाता है तब कई बार वह हिम्मत हार जाता है ,उसके मन का विशवास डगमगा जाता है और घबरा कर वह सहारा ढूँढने लगता है ,ऐसा ही कुछ हुआ था सुमित के साथ जब अपने व्यापार में ईमानदारी की राह पर चलने से उसे मुहं की खानी पड़ी ,ज़िंदगी में सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने की जगह वह नीचे लुढ़कने लगा ,व्यापार में उसका सारा रुपया डूब गया ,ऐसी स्थिति में उसकी बुद्धि ने भी सोचना छोड़ दिया ,वह भूल गया कि कोई उसका फायदा भी उठा सकता ,खुद पर विशवास न करते हुए ज्योतिषों और तांत्रिकों के जाल में फंस गया ।
जब किसी का मन कमज़ोर होता है वह तभी सहारा तलाशता है ,वह अपने मन की शक्ति को नही पहचान पाता और भटक जाता है अंधविश्वास की गलियों में । ऐसा भी देखा गया है जब हम कोई अंगूठी पहनते है याँ ईश्वर की प्रार्थना ,पूजा अर्चना करते है तब ऐसा लगता है जैसे हमारे ऊपर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है लेकिन यह हमारे अपने मन का ही विशवास होता है । मन ही देवता मन ही ईश्वर मन से बड़ा न कोई ,अगर मन में हो विशवास तब हम कठिन से कठिन चुनौती का भी सामना कर सकते है |
क्यों न हम नववर्ष पर यह संकल्प लें और अपने मन को ऊपर उठाने वाले शुभ विचार दें , । शांत मन से अपने अंतस की आवाज को सुनते हुए से शुभ कर्म करते जाएँ | इस नववर्ष पर मैने अटल संकल्प लिया है कि मै अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनते हुए मन को ऊपर उठाने वाले शुभ विचारऔर सदा शुभ कर्म करती रहूँ गी|

Thursday, 26 December 2013

क्या भेद है सत्य और स्वप्न में

आने  वाला  कल  सपना सा लगता है
कल जो बीत गया  सपना सा लगता है 
फिर  क्या  भेद है सत्य और स्वप्न में 
बस आज ही है जो सिर्फ सत्य लगता है 

रेखा जोशी 

सिर्फ इंतज़ार में मौत की

व्यथित मन
देख बुढ़ापा
चेहरे  की झुरियों
में छिपा संघर्ष
जीवन का
सफर कितना था सुहाना
बचपन जवानी का
कर देता असहाय
कितना
यह बुढ़ापा
तड़पता है मन
धुंधला जाती आँखे
पल पल
क्षीण होती काया
मौत से पहले
कई बार है मरता
मन
गुज़रते है दिन
सिर्फ
इंतज़ार में मौत की

रेखा जोशी

Wednesday, 25 December 2013

गूँथ रहा गीतों की माला

यह गीतों की माला गुंथन को
मै सुन्दर से सुन्दर फूल चुनूं
इक इक की मै परखूँ खुश्बू को
औ हर इक फूल सजा कर देखूं
यह गीतों  की  माला  गूँथ रहा
मै    रंग  बिरंगे  फूल   सजाऊं
पर है न मिला वह मै खोज रहा
जिस को अब यह माला पहनाऊँ
उत्तर  जाऊं  दिखे   दक्षिण  में
और मै फिर  दक्षिण  को जाऊं
मै  पूरब घूमूं फिर पश्चिम में
वह  आगे  औ  मै पीछे   जाऊं
इक दिन वह थक कर  हारेगा
माला  यह  मेरी  स्वीकारे गा

महेन्द्र  जोशी


Tuesday, 24 December 2013

यूँहि जिये जा रहे है हम अब मुस्कुराते हुए

मिले  गम  ही  गम  जाने  के  बाद  तुम्हारे 
लेकिन  प्यार  को  दिल में  बसा के  तुम्हारे 
छुपा लिया हर गम को मुस्कुराहट में अपनी 
यूँहि  जिये  जा रहे है हम अब मुस्कुराते हुए 

रेखा जोशी 

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

   
नाचता झूमता देखो नववर्ष  आ रहा 
खुशियाँ मनाते देखो नया साल आ रहा 
जाम से जाम टकरा रहे यहाँ स्वागत में 
जाता हुआ साल सबको कह अलविदा रहा 

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 

रेखा जोशी 

बिखरी यादें न जाने है कहाँ कहाँ

यह खामोशियाँ औ यह तन्हाइयाँ 
ढूँढ रही है यह तुम्हे यहाँ और वहाँ 
बस एहसास है अब तेरे होने का 
बिखरी यादें न जाने है कहाँ कहाँ 

रेखा जोशी 

Monday, 23 December 2013

जिंदगी में सदा गाते हम तेरे तराने

जिंदगी   में   सदा  गाते   हम   तेरे  तराने 
प्यार   है  तुमसे  और  तुम्ही  हो  अनजाने 
कोई नही जाने अब  यह हाल ए  दिल हमारा 
मुहब्बत दिल में पर बन गये लाखों  फ़साने 

रेखा जोशी 

कर विकसित आत्मा अपनी

हूँ सोचती

रात दिन 

क्या है 

मकसद 

मानव के 

इस 

जीवन का 

खाना पीना 

और सोना 

याँ 

पोषण 

परिवार का 

नही

यह सब 

तो 

करते है 

पशु पक्षी भी
 
ध्येय 

मानव का 

है कुछ 

और 

कर विकसित 

आत्मा 

अपनी 

कर उत्थान 

अपना 

कर्म कर

कुछ ऐसे 

निरंतर 

बढ़ता चल 

पूर्णता की 

और .... 


रेखा जोशी 




Sunday, 22 December 2013

बहुत कम है क्षण ख़ुशी के

जो मिले वह आनंद ले ले ,
गम  बहुत इस जिंदगी में
मत व्यर्थ कर इन क्षणों को ,
बहुत कम है क्षण ख़ुशी के ।

रेखा जोशी 

था सब से बढ़िया वह उपहार [बाल कविता ]

लाल लिबास  टोपी पहन कर
प्यारे बच्चों  को  देने  उपहार
बड़े दिन की  थी  वह सर्द रात
निकल पड़ा  वह घर से बाहर
सुंदर तोहफों को झोली में भर
था सब का प्यारा सांताक्लाज
चुपके से रखता जाता हर घर
सुंदर  सुंदर  से बढ़िया उपहार
थी ठंडी  सर्द  वह बर्फीली  रात
फुटपाथ पर सोया इक बालक
हैरान था सांताक्लाज उसे देख
वह  रहा सिकुड़ थी शीत लहर
झोली से निकाला इक कम्बल
चुपके से ओढ़ा  उस  बच्चे पर
पाया  उसने   सुखद  अहसास
था  सब से बढ़िया  वह उपहार
था  सब से बढ़िया  वह उपहार

रेखा जोशी

हैप्पी बर्थडे यीशु [बाल कविता ]

हैप्पी बर्थडे  यीशु   [बाल कविता ]

सांताक्लाज  आया  सांताक्लाज  आया 
रंग   बिरंगे  सुन्दर सुन्दर तोहफे लाया 
सजे है क्रिसमस के पेड़  रंगीं सितारों से 
मंजीत  मोनू डेविड  आमिर  ने मिल के 
सुन्दर  सा इक बढ़िया  केक  भी बनाया 
सजा  कर  उसे  रंगीन मोम बत्तियों से 
हैप्पी बर्थडे  बोल यीशु को जन्मदिन पर 
हर्षोउलास  के साथ बड़े दिन को मनाया 

रेखा जोशी 

हाइकु

सत्कार करें
ज़िंदगी में खुशियाँ
प्यार  से रहें
……………
हर्षित मन
है देख  फुलवारी
सुन्दर फूल
……………
उदास मन
मिलती नही ख़ुशी
तलाश रहा

रेखा जोशी

Saturday, 21 December 2013

बज उठी शहनाईयाँ

तुम्हारे  आते  ही  आज  ख़त्म  हुई  तन्हाईयाँ 
गाने   लगी  गीत  अब  देखो  मेरी  खामोशियाँ 
निकल कर यादों से आये जो तुम निकट हमारे 
बस  तेरे  पास  होने  से  बज   उठी  शहनाईयाँ 

रेखा जोशी 

लब पर है मुस्कान

किस्मत 
ने दिये 
गम ही 
गम 
अब तो 
आदत 
हो गई है 
खाने की
 गम 
दिल टूट 
चुका है 
मगर 
लब पर 
है मुस्कान 

रेखा जोशी 

Friday, 20 December 2013

कर विश्वास उस ईश्वर पर

उसकी असीम कृपा पर यकीन तो कर 
कर के विश्वास  तो देख उस ईश्वर पर 
रहे  तुम्हारे  सिर  पर गर  हाथ  उसका 
घर  बैठे  ही  मुरादों  से  झोली  दे  भर 

रेखा जोशी 

शांत है विस्तृत सागर




गिरती उठती लहरें
सागर की
शोर मचाती
आती पग चूमती
साहिल का
फिर लौट जाती
चमक रही सीने पर
अरुण की सुनहरी रश्मियाँ
असीमित नीर
समेटे अपने में
अथाह शक्ति फिर भी
है शांत विस्तृत सागर
तूफ़ान छुपाये
अपने सीने में

 रेखा जोशी



Wednesday, 18 December 2013

रुकता नही कभी वक्त

रुकता नही कभी वक्त उसे तो बदलना है 
लेकिन रात के बाद सुबह को भी  आना है
ख़्वाबो को अपने तुम संजोये रखना सदा 
सपनो को आज नही तो कल पूरा होना  है 

रेखा जोशी 

Tuesday, 17 December 2013

भटक रही भूख

खाली पेट न आये नींद तुम क्या जानो 
भूखे हों जब बच्चे तड़प तुम क्या जानो 
तरसती अखियाँ देख भोजन की थाली को 
भटक रही भूख गरीब की तुम क्या जानो

रेखा जोशी

अँधेरा शाम का बढ़ा जा रहा

ढल गई
शाम
अँधेरे के
मुख में
जा रहा
सूरज
छूट रहे
सब साथी
सूनी डगर
तोड़
रिश्ते नाते
छोड़
मोह माया
इक पंछी
अकेला
चला
जा रहा
अँधेरा
शाम का
बढ़ा
जा रहा

रेखा जोशी



Sunday, 15 December 2013

नही बदली मानसिकता

16 दिसंबर ,एक वर्ष बीत गया पर नही बदली  अभी भी 

बेटी
भारत की
कर गई
ज़ख्मी
पूरे देश को
थी वह
निर्भया
रही
संघर्षरत
हार गई
जंग जीवन की
कानून बदले
हालात बदले
लेकिन
नही बदली
मानसिकता
नही
बचा पाती
अस्मिता
अभी भी
झेल रही
कहीं
तेज़ाबी हमले
हो रही
शिकार कहीं
खूंखार
दरिंदो का
झेल रही
पीड़ा
जी रही
अभी भी
अपमानित
घुटन भरी
ज़िंदगी

रेखा जोशी









Saturday, 14 December 2013

बस यही इक पल

आगोश
अपने में
ले रही
मौत
हर पल
अब
जो है
पल
मिट रहा
जा चुका
वह
काल में
आ रहा
फिर
नव पल
तैयार है
मिटने को
वह पल
पल पल
मिट रही
यह ज़िंदगी
है जो
अपना
बस यही
इक पल
कर ले
पूरी
सभी चाहते
बस
इसी में
इक पल
संवार
सकता है
जीवन
बस
यही
इक पल

रेखा जोशी

साथ मिल जाये अगर दोस्तों का


यूँ तो इस दुनिया में हज़ारो गम है 
गर देखा जाये तो वह बहुत कम है 
साथ मिल जाये अगर दोस्तों का तो 
बाँटते जो सब हमारे अनेक गम है

रेखा जोशी

Thursday, 5 December 2013

क्यों हमारा इम्तिहान ले रहे हो तुम

काश  मेरे  जीवन में न  आये  होते तुम 
जाने किस कसूर की सजा पा रहे है  हम 
हमने  तुम्हे  सदा  जी जान से  है  चाहा 
आखिर क्यों हमारा इम्तिहान ले रहे तुम 

रेखा जोशी 

Wednesday, 4 December 2013

पल दो पल का साथ

चाहते हो कहना दिल की बात किसी को अगर 
निसंकोच कह दो उसे अभी मत करो तुम देर 
न जाने कब खत्म हो जाए पल दो पल का साथ 
हाथ मलते रह जाओगे ज़िंदगी फिसल गई अगर 

रेखा जोशी 

मै वृक्ष हूँ बरगद का

सदियों से
खड़ा हूँ मै
दूर दूर तक
फैल चुकी
शाखाएँ मेरी
देता आश्रय
थके हारे
पथिकों को
सुबह शाम
चहचहाते
अनेक परिंदे
बनाते नीड़
मेरी घनी
टहनियों पर
सदियों से
देख रहा  हूँ
आती जाती
अनेक
ज़िंदगियाँ
मै वृक्ष हूँ
बरगद का

रेखा जोशी

Tuesday, 3 December 2013

अमानत है यह जीवन मेरा

माना  की तुम से ही है  यह ज़िंदगी
माना की तुम से ही  है यह  बंदगी 
पर अमानत है यह जो जीवन मेरा 
जब देश की खातिर मिटे यह ज़िंदगी 

रेखा जोशी 

Monday, 2 December 2013

बिलख रहा था

अपनी माँ के आँचल में वह सिमटा हुआ
दुबला  सा  बच्चा  सीने  से  चिपटा  हुआ
बिलख  रहा  था  रो रो कर  भूख  के  मारे
मैले   कुचैले  चीथड़ों   में   लिपटा   हुआ

  रेखा जोशी

Sunday, 1 December 2013

आखिर क्यों आता है गुस्सा


अमित अपने पर झल्ला उठा ,''मालूम नहीं मै अपना सामान खुद ही रख कर क्यों भूल जाता हूँ ,पता नही इस घर के लोग भी कैसे  कैसे है ,मेरा सारा सामान उठा कर इधर उधर पटक देते है ,बौखला कर उसने अपनी धर्मपत्नी को आवाज़ दी ,''मीता सुनती हो ,मैने  अपनी एक ज़रूरी फाईल  यहाँ मेज़ पर रखी थी ,एक घंटे से ढूँढ रहा हूँ ,कहाँ उठा कर रख दी तुमने ?गुस्से में दांत भींच कर अमित चिल्ला कर बोला ,''प्लीज़ मेरी  चीज़ों को मत छेड़ा करो ,कितनी बार कहा  है तुम्हे ,''अमित के  ऊँचे  स्वर सुनते ही मीता के दिल की धड़कने तेज़ हो गई ,कहीं इसी बात को ले कर गर्मागर्मी न हो जाये इसलिए  वह भागी भागी आई और मेज़ पर रखे सामान को उलट पुलट कर अमित की फाईल खोजने लगी ,जैसे ही उसने मेज़ पर रखा अमित का ब्रीफकेस उठाया उसके नीचे रखी हुई फाईल  झाँकने लगी ,मीता ने मेज़ से फाईल  उठाते हुए अमित की तरफ देखा ,चुपचाप मीता  के हाथ से  फाईल ली और दूसरे कमरे में चला गया ।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब हमारी इच्छानुसार कोई कार्य नही हो पाता तब क्रोध एवं आक्रोश का पैदा होंना सम्भाविक है ,याँ छोटी छोटी बातों याँ विचारों में मतभेद होने से भी क्रोध आ ही जाता है |यह केवल अमित के साथ ही नही हम सभी के साथ आये दिन होता रहता है | ऐसा भी देखा गया है जो व्यक्ति हमारे बहुत करीब होते है अक्सर वही लोग अत्यधिक हमारे क्रोध का निशाना बनते है और क्रोध के चलते सबसे अधिक दुःख भी हम उन्ही को पहुँचाते है ,अगर हम अपने क्रोध पर काबू नही कर पाते तब रिश्तों में कड़वाहट तो आयेगी ही लेकिन यह हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत को भी क्षतिगरस्त करता है ,अगर विज्ञान की भाषा में कहें तो  इलेक्ट्रोइंसेफलीजिया [ई ई जी] द्वारा दिमाग की इलेक्ट्रल एक्टिविटी यानिकि मस्तिष्क में उठ रही तरंगों को मापा जा सकता है ,क्रोध की स्थिति में यह तरंगे अधिक मात्रा में बढ़ जाती है | जब कोई व्यक्ति पूरी तरह से अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है तब मस्तिष्क तरंगे बहुत ही अधिक मात्रा में बढ़ जाती है और चिकित्सक उसे पागल करार कर देते है | क्रोध भी क्षणिक पागलपन की स्थिति जैसा है जिसमे व्यक्ति अपने होश खो बैठता है और अपने ही हाथों से जुर्म तक कर बैठता है और वह व्यक्ति अपनी बाक़ी सारी उम्र पछतावे की अग्नि में जलता रहता है  ,तभी तो कहते है कि क्रोध मूर्खता से शुरू हो कर पश्चाताप पर खत्म होता है |
मीता की समझ में आ गया कि क्रोध करने से कुछ भी हासिल नही होता उलटा नुक्सान ही  होता है , उसने कुर्सी पर बैठ कर लम्बी लम्बी साँसे ली और एक गिलास पानी पिया और फिर आँखे बंद कर अपने मस्तिष्क में उठ रहे तनाव को दूर करने की कोशिश करने लगी ,कुछ देर बाद वह उठी और एक गिलास पानी का भरकर मुस्कुराते हुए अमित के हाथ में थमा दिया ,दोनों की आँखों से आँखे  मिली और होंठ मुस्कुरा उठे

 रेखा जोशी