यह गीतों की माला गुंथन को
मै सुन्दर से सुन्दर फूल चुनूं
इक इक की मै परखूँ खुश्बू को
औ हर इक फूल सजा कर देखूं
यह गीतों की माला गूँथ रहा
मै रंग बिरंगे फूल सजाऊं
पर है न मिला वह मै खोज रहा
जिस को अब यह माला पहनाऊँ
उत्तर जाऊं दिखे दक्षिण में
और मै फिर दक्षिण को जाऊं
मै पूरब घूमूं फिर पश्चिम में
वह आगे औ मै पीछे जाऊं
इक दिन वह थक कर हारेगा
माला यह मेरी स्वीकारे गा
महेन्द्र जोशी
मै सुन्दर से सुन्दर फूल चुनूं
इक इक की मै परखूँ खुश्बू को
औ हर इक फूल सजा कर देखूं
यह गीतों की माला गूँथ रहा
मै रंग बिरंगे फूल सजाऊं
पर है न मिला वह मै खोज रहा
जिस को अब यह माला पहनाऊँ
उत्तर जाऊं दिखे दक्षिण में
और मै फिर दक्षिण को जाऊं
मै पूरब घूमूं फिर पश्चिम में
वह आगे औ मै पीछे जाऊं
इक दिन वह थक कर हारेगा
माला यह मेरी स्वीकारे गा
महेन्द्र जोशी
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