आगोश
अपने में
ले रही
मौत
हर पल
अब
जो है
पल
मिट रहा
जा चुका
वह
काल में
आ रहा
फिर
नव पल
तैयार है
मिटने को
वह पल
पल पल
मिट रही
यह ज़िंदगी
है जो
अपना
बस यही
इक पल
कर ले
पूरी
सभी चाहते
बस
इसी में
इक पल
संवार
सकता है
जीवन
बस
यही
इक पल
रेखा जोशी
अपने में
ले रही
मौत
हर पल
अब
जो है
पल
मिट रहा
जा चुका
वह
काल में
आ रहा
फिर
नव पल
तैयार है
मिटने को
वह पल
पल पल
मिट रही
यह ज़िंदगी
है जो
अपना
बस यही
इक पल
कर ले
पूरी
सभी चाहते
बस
इसी में
इक पल
संवार
सकता है
जीवन
बस
यही
इक पल
रेखा जोशी
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