Thursday, 26 December 2013

सिर्फ इंतज़ार में मौत की

व्यथित मन
देख बुढ़ापा
चेहरे  की झुरियों
में छिपा संघर्ष
जीवन का
सफर कितना था सुहाना
बचपन जवानी का
कर देता असहाय
कितना
यह बुढ़ापा
तड़पता है मन
धुंधला जाती आँखे
पल पल
क्षीण होती काया
मौत से पहले
कई बार है मरता
मन
गुज़रते है दिन
सिर्फ
इंतज़ार में मौत की

रेखा जोशी

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