हूँ सोचती
रात दिन
क्या है
मकसद
मानव के
इस
जीवन का
खाना पीना
और सोना
याँ
पोषण
परिवार का
नही
यह सब
तो
करते है
पशु पक्षी भी
ध्येय
मानव का
है कुछ
और
कर विकसित
आत्मा
अपनी
कर उत्थान
अपना
कर्म कर
कुछ ऐसे
निरंतर
बढ़ता चल
पूर्णता की
और ....
रेखा जोशी
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