Wednesday, 29 January 2014

कौन समय के आगे टिक पाया

यह   संसार   बनाने    वाले  हे
कैसा   है   यह   संसार  बनाया
फूलों   के   संग    उगाये   कांटे
औ  धूप  के  साथ  बनाई छाया
है प्यार  बनाया  और  घृणा भी
निर्माण  के संग विनाश बनाया
मानव  के उर में करुणा भर दी
और   उसे   ही   शैतान  बनाया
बलरूप दिया यौवन को कितना
है  देख  जिसे  यौवन  भरमाया
पर क्षण भंगुर सब यह कितना
कौन  समय के आगे टिक पाया
बात समय की ही तो यह सब है
नर  जिसके आगे नतमस्तक है

प्रो महेन्द्र  जोशी







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