यह संसार बनाने वाले हे
कैसा है यह संसार बनाया
फूलों के संग उगाये कांटे
औ धूप के साथ बनाई छाया
है प्यार बनाया और घृणा भी
निर्माण के संग विनाश बनाया
मानव के उर में करुणा भर दी
और उसे ही शैतान बनाया
बलरूप दिया यौवन को कितना
है देख जिसे यौवन भरमाया
पर क्षण भंगुर सब यह कितना
कौन समय के आगे टिक पाया
बात समय की ही तो यह सब है
नर जिसके आगे नतमस्तक है
प्रो महेन्द्र जोशी
कैसा है यह संसार बनाया
फूलों के संग उगाये कांटे
औ धूप के साथ बनाई छाया
है प्यार बनाया और घृणा भी
निर्माण के संग विनाश बनाया
मानव के उर में करुणा भर दी
और उसे ही शैतान बनाया
बलरूप दिया यौवन को कितना
है देख जिसे यौवन भरमाया
पर क्षण भंगुर सब यह कितना
कौन समय के आगे टिक पाया
बात समय की ही तो यह सब है
नर जिसके आगे नतमस्तक है
प्रो महेन्द्र जोशी
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