पत्थर के
सनम से
जोड़ा रिश्ता
चकनाचूर हुआ
शीशे सा
दिल अपना
पर
नही मानता
यह दिल
जानता
है वह
खिला देगा
इक दिन
फूल भी
पत्थरों में
महका सकता
है वह
पाषाण
हृदय भी
ठान ली
है ज़िद
इस दिल
ने भी
रेखा जोशी
सनम से
जोड़ा रिश्ता
चकनाचूर हुआ
शीशे सा
दिल अपना
पर
नही मानता
यह दिल
जानता
है वह
खिला देगा
इक दिन
फूल भी
पत्थरों में
महका सकता
है वह
पाषाण
हृदय भी
ठान ली
है ज़िद
इस दिल
ने भी
रेखा जोशी
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