हाइकु
खुशी के गीत
कुहुकती कोयल
जगाती प्रीत
,
जगाती प्रीत
सजन अलबेला
मन का मीत
,
मन का मीत
बहुत तड़पाये
जाने न प्रीत
,
जाने न प्रीत
समझ नहीं पाता
प्रीत की रीत
रेखा जोशी
हाइकु
खुशी के गीत
कुहुकती कोयल
जगाती प्रीत
,
जगाती प्रीत
सजन अलबेला
मन का मीत
,
मन का मीत
बहुत तड़पाये
जाने न प्रीत
,
जाने न प्रीत
समझ नहीं पाता
प्रीत की रीत
रेखा जोशी
बचपन में माँ एक कहानी सुनाया करती थी कि एक राक्षस किसी देश की राजकुमारी को उठा कर ले गया था लेकिन कहानी का अंत बहुत सुखद होता था, कोई राजकुमार बहुत सी कठिनाइयाँ झेल कर राजकुमारी को राक्षस के चुंगल से बचा लिया करता था l
आज न जाने कितने महीने गुज़र गये मीना को अपने राजकुमार का इंतज़ार करते हुए, उफ़ कितनी भयानक रात थी जब वह रात को आफिस से घर लौट तब किसी राक्षस ने उसे पकड़ लिया था, कितना चीखी थी मीना लेकिन तब से वह उस ज़ालिम की केद में तड़प तड़प कर दिन गुज़ार रही थी, कब इस बंद पिंजरे से उसे आज़ादी मिलेगी, लेकिन आज़ादी उसके नसीब में नहीं थी, नही जानती थी कि उसके राजकुमार ने ही मीना को बेच दिया था उस राक्षस को l
रेखा जोशी
बादलों की ओट मुख दिखाता है चाँद
पानी की लहरों पे लहराता है चाँद
..
आ गये हम तो यहाँ परियों के देश में
यहाँ चाँदनी पथ पे बिखेरता है चाँद
..
दीप्त हुआ चाँदनी से चेहरा तेरा
रोशन हुआ आलम जगमगाता है चाँद
..
आये तेरी महफ़िल में अब हम भी सनम
तारों संग नभ पे मुस्कुराता है चाँद
.?
सुंदर नज़ारों को बसा लिया पलकों में
अब देख कर हमे यहाँ शर्माता है चाँद
रेखा जोशी
हंस हंसिनी का जोड़ा निर्मल जल में लगा झूमने
चाँद सा मुखड़ा देख हंसिनी का लगा हंस चहकने
,
कमल खिले खुशियों के तब जैसे खिले कलियों से फूल
मिले इक दूजे के दिल लगे संग संग वोह धड़कने
,
लहर लहर लहराते गाते नदिया में प्रेम के गीत
प्रियतम से मिल लिखी प्रेम कहानी प्रीत लगी मचलने
,
बना रहे स्नेह सदा आती रहें बहारें ज़िन्दगी में
देख प्यार दोनों का तरंगिनी भी अब लगी बहकने
,
इक दूजे का बन सहारा जीते इक दूजे को देख
हाथ जोड़ भगवन से मांगे जन्म जन्म का साथ बने
रेखा जोशी
याद तेरी सता रही है मुझे
ज़िन्दगी अब बुला रही है मुझे
.
चोट खाते रहे यहाँ साजन
पीड़ दिल की जला रही है मुझे
.
छिप गये हो कहाँ जहाँ में तुम
याद फिर आज आ रही है मुझे
..
सिलसिला प्यार का न टूटे अब
मौत जीना सिखा रही है मुझे
...
आ मिला कर चलें कदम हम तुम
चाह तेरी लुभा रही है मुझे
रेखा जोशी
शादी जी हाँ शादी
था सुना करते
यह तो है बरबादी
,
कहते थे बड़े बुजुर्ग
कर लो मौज अभी
पता चलेगा
आटे दाल का भाव
जब होगी शादी
मत पड़ना इस चक्कर में
यह तो है बरबादी
,
लेकिन नहीं माना मन
ललचा गया
बेताब हो उठा
खा ही लिया शादी का लड्डू
बंध गए विवाह के बंधन में
सोचा अब तो पड़ेगा पछताना
क्योकि
यह तो है बरबादी
,
नहीं सोचा था कभी
खूबसूरत प्यारे इस बँधन से
मिलेंगी खुशियाँ हज़ार हमेँ
बदल देगा दुनिया हमारी
मिला जीवन साथी इक प्यारा
बना वह सुख दुख का सहारा
वह तो निकला
जन्म जन्म का साथी
कर दी सुबह और शाम
हमने उसके नाम
नहीं समझे जो
प्यारे इस बँधन को
वोही है कहते
यह तो है बरबादी
रेखा जोशी
नहीं मुश्किल नदी के पार होना
रहे माँझी अगर बेदार होना
,
हमारे ख्वाब है पूरे हुए अब
कहो उनसे न फिर मिस्मार होना
,
कहें कैसे सजन से बात दिल की
झुकी आँखें कहें है आर होना
,
सहारा कौन देता इस जहां में
उठो खुद ही न फिर बेगार होना
,
रखा हमने छुपा कर प्यार दिल में
निगाहों से बयां हैं प्यार होना
,
सितारों से सजी महफिल यहां पर
किसी का आज है दीदार होना
रेखा जोशी
है मौन बहती
सरिता गहरी
उदण्ड बहते निर्झर
झर झर झर झर
करते भंग मौन
पर्वत पर
उछल उछल कर
शोर मचाये
अधजल गगरी छलकत जाये
ज्ञानी रहते मौन
यहाँ पर
ज्ञान बाँचते
पोंगें पंडित
कुहक कुहक कर
रसीले मधुर गीत
कोयलिया गाये
पंचम सुर में
कागा बोले
राग अपना ही
अलापता जाये
अधजल गगरी छलकत जाये
मिलेंगे यहाँ
हज़ारों इंसान
आधा अधूरा ज्ञान लिये
गुण अपने करते बखान
कौन इन्हे अब समझाये
अधजल गगरी छलकत जाये
रेखा जोशी
फूल बगिया में खिलेंगे
ग़म न कर दिन यह फिरेंगे
बीत जायेगा समां यह
फिर खुशी के पल मिलेंगे
रेखा जोशी
हृदय में बसा लिया प्यार प्रिय
ढूंढते तुम्हें हर द्वार प्रिय
,
है व्याकुल नयन तेरे बिना
सुन लो मेरी तुम पुकार प्रिय
,
राह में तेरी पलकें बिछा
करते तेरा इंतज़ार प्रिय
,
सूनी गलियाँ सूना आंगन
तरसते तेरा दीदार प्रिय
,
पलकों को मधुरिम ख़्वाबों से
भर देते हो बार बार प्रिय
रेखा जोशी
दुनिया की भीड़ में देखे बिखरते रिश्ते
ज़िंदगी की भाग दौड़ में सिसकते रिश्ते
टूटते रिश्ते यहां पत्थरों के शहर में
प्रेम प्रीति से ही तो हैं संवरते रिश्ते
रेखा जोशी
उड़ना चाहूँ आसमान में
पाँव पड़ी जंजीर
जो चाहूँ वो न पाऊँ
यह कैसी मिली तकदीर
रहे अधूरे सपने
देखे जो मेरी चाहतों ने
भाग्यविधाता क्यों लिख दी
मेरे भाग्य में पीर
थी यही तमन्ना
जीवन में कुछ करने की
सपनों पर अपने
पड़ती रही धूल ही धूल
फूलों की चाहत में
मिले हमें शूल ही शूल
लेकिन
आई दिल से आवाज़
न छोड़ना कभी आस
अधूरे सपनें होंगे पूरे
न हो तुम अधीर
छू लोगे तुम
आसमां इक दिन
पंख मिलेंगे ख़्वाबों को
गर खुद पर हो विश्वास
अवश्य होगे कामयाब
बस जीवन में
धीरज रखना सीख
रेखा जोशी
रेखा जोशी
समाये तुम पिया दिल में हमारे
चले आओ पुकारे हैं बहारें
मिले जो तुम हमें दुनिया मिली अब
खिला उपवन हमें साजन पुकारे
रेखा जोशी
है लाडो हमारी सब को नचाती
कभी रूठती कभी हम को मनाती
खेलती कूदती घर अँगना बिटिया
बचपन सुहाना मुझे याद दिलाती
रेखा जोशी